

-बजारे चौधरी ( सुशिल )
पोर हुकहिन्से संगसंग
अस्टिम्की लिख्ली
हाँसी मजाक कै कै क,
मैँ डुरपरी लिख्नु
ऊ पाँच पण्डवा बनैल
मै जौन्या सिर्जैनु
ऊ डिन बनैल ।
मै कदमके रुख्वा बनैनु
ऊ बसिया बजैटी रलक कान्ह रचैल,
लिखन्डरान चाउरफुला गोही
नचन्या लिख्ली
बर्घरान् भैया, मंडरिया
खिटरल बेल्गन्डरान भाटु
सोङ्ग्या रचैल
हँस्पुरान गोही हुँक्का चिलम
महोट्यान डाडु सँढाइल हँठ्या बनैल ट
मनपुरान् गोही डोली सिर्जैली
कुई बनाइ निमानल बरमुर्वा
छटकपुरान् बुबा बनैल
लग्लगा लग्लगा भल्मन् ।
असौँ फे ओस्टहेँक
सल्ला रह हमार,
कुम्हा जोर जोर अस्टिम्की लिख्ना
आपन मैगर सभ्यताके इतिहास कोर्नु
खीरक् चोँटी काट काट खैना
ओ,
पाकल महकना अमरुट किम्होर्क
डुठी डुठा खैना
लकिन,
असौँ काजुन काहुइल
की लागु भागु लागल ?

बर्किमार अस
सुर्खेल युद्ध हुइल, हमार गाउँम
महटान उर्दी सुन्क
के जानल के निजानल
के मानल के निमानल
दैव जान !कटके खोल्ह्वा बहल ।
सत्ताको मातम हिंस्रक
सुरुहुइल दमनके श्रृंखला,
चिल्ली विल्ली पारल रैथाने धर्तीपुत्रन् ।
लस्क्याइल अस्टिम्की
फिक्कल होगैल
ना कान्हा बसिया बजैल
ना सोङ्ग्या स्वाङ्ग काह्रल
ना ट मयरी मडागीन,
बारीफुलवारमा फुला ल्वाह्र गैली
ना पुरैन जो फुलल सगराम । ्
सायद
पाँच पण्डवन् सकुनी चाल चल्क
लखागीर पर्वट्वाम टना नुकैल ?
खबरदार …..
जिरिजोधनहुक्र
ना बिस्रोओ थारुहुक्र भेँवक भक्त हुइट
जे किच्काले प्याटीम जाक
खेक्टा बन्क
जीउ फुलाक प्याट फर्चाए सेक्ठ
बबई राप्ती भेरीक लड्याम
लडियाके डुनु डीउँम
ठह्रियाक सेम्रक सज्ज रुख्वक फुला बनाक बन्सी
लगुइला
वीर भेवा बन्क थरुहटी जवान
अइटीबाट
लखागीरक ढुरखम्हा टुर्क
टुहाँर दरबारक बजरा केवार फोर्क
अन्यायी ओ अधर्मी सत्ताके
लगाम टुर,
बेल्गल्डरन भाटु
महोट्यान् डाडु
मैनाहान् बन्डाडा
ओ, ऊ म्वार मैयाँ
असौक लौव अस्टिम्की बनाए
मट्युर बास मिलल
लाल रकटले
थारुन्के अधिकार कब्बुनिमेट्नाकैक लिख
ओ
लौव इतिहास रचाए,
भिटा –भिटा ओ डेहरी डेहरीमा
जन जनके दिद ओ दिमाकम ।